जो लोग
रूचि के
अनुसार सेवा
करना चाहते
हैं, उनके
जीवन मे बरकत
नहीं आती।
किन्तु जो
आवश्यकता के
अनुसार सेवा
करते हैं,
उनकी सेवा
रूचि मिटाकर
योग बन जाती
है। पतिव्रता
स्त्री जंगल में
नहीं जाती,
गुफा में नहीं
बैठती। वह
अपनी रूचि पति
की सेवा में
लगा देती है।
उसकी अपनी
रूचि बचती ही
नहीं है। अतः
उसका चित्त
स्वयमेव योग में
आ जाता है। वह
जो बोलती है,
ऐसा प्रकृति
करने लगती है।
Pujya Asharam Ji Bapu
Pujya Asharam Ji Bapu
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