Saturday, 19 May 2012

533_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

लख चौरासी के चक्कर से थका, खोली कमर।
अब रहा आराम पाना, काम क्या बाकी रहा?
जानना था वो ही जाना, काम क्या बाकी रहा?
लग गया पूरा निशाना, काम क्या बाकी रहा?
देह के प्रारब्ध से मिलता है सबको सब कुछ।
नाहक जग को रिझाना, काम क्या बाकी रहा?

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