509_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
प्रिय
आत्मन् ! न तेरा
पहले जन्म था
न वर्त्तमान
में है और न आगे
होगा। यदि
क्षणमात्र के
लिए अपने आसन
से हटेगा,
अपने आपको
स्वरूप में
स्थित न
मानेगा, प्रमाद
करेगा तो वही
प्रमाद
विस्तीर्ण
जगत हो भासेगा।
Pujya Asharam Ji Bapu
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