साकार
मिथ्या है। निराकार
सत्य है। सारा
जगत निराकार
है। सब जगत को
एक शिव समझो।
निर्द्वन्द्व रह
निःशंक रह, निर्भय
सदा निष्काम
रे।
चिंता
कभी मत कीजिये, जो होय
होने दीजिये।।
जड़-चेतन,
स्थावर-जंगम,
सम्पूर्ण चराचर
जगत एक ब्रह्म
है और वह ब्रह्म
मैं हूँ।
इसलिए सब मेरा
ही स्वरूप है।
इसके सिवाय
कुछ नहीं।
जो कुछ तू
देखता है वह
सब तू ही है।
कोई शक्ति इसमें
बाधा नहीं डाल
सकती। राजा,
देव, दानव, कोई भी
तुम्हारे
विरुद्ध खड़े
नहीं हो सकते।
तुम्हारी शंकाएँ
और भय ही तुम्हारे
जीवन को नष्ट
करते हैं।
जितना भय और
शंका को हृदय
में स्थान दोगे,
उतने ही
उन्नति से दूर
पड़े रहोगे।
Pujya Asharam Ji Bapu
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