वह भक्त ही
क्या जो तुमसे
मिलने की दुआ न
करे ?
भूल प्रभु
को जिंदा रहूँ
कभी ये खुदा न
करे ।
हे गुरुवर
!
लगाया जो
रंग भक्ति का, उसे छूटने न
देना ।
गुरु तेरी
याद का दामन, कभी छूटने न
देना ॥
हर साँस में
तुम और
तुम्हारा नाम
रहे ।
प्रीति की
यह डोरी, कभी टूटने न
देना ॥
श्रद्धा की
यह डोरी, कभी टूटने न
देना ।
बढ़ते रहे
कदम सदा तेरे
ही इशारे पर ॥
गुरुदेव ! तेरी कृपा
का सहारा
छूटने न देना।
सच्चे बनें
और तरक्की
करें हम,
नसीबा हमारी अब रूठने न
देना।
देती है
धोखा और भुलाती
है दुनिया,
भक्ति को अब
हमसे लुटने
न देना ॥
प्रेम का यह
रंग हमें रहे
सदा याद,
दूर होकर
तुमसे यह कभी
घटने न देना।
बडी़ मुश्किल से
भरकर रखी है
करुणा तुम्हारी....
बडी़ मुश्किल से थामकर रखी
है
श्रद्धा-भक्ति
तुम्हारी....
कृपा का यह
पात्र कभी फूटने
न देना ॥
लगाया जो
रंग भक्ति का
उसे छूटने न
देना ।
प्रभुप्रीति की यह डोर
कभी छूटने न
देना ॥
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