बुद्धिमान शिष्य जानते है कि कितनी भी कठिनाई आ जाये फिर भी आत्मज्ञान पाना ज़रुरी है । गुरु के वचनों का साक्षात्कार करना ज़रूरी है ।
जो बुद्धिमान ऐसा समझता है उसको प्रत्येक मिनट का सदुपयोग करने की रुचि होती है । उसे कहना नहीं पड़ता कि ध्यान करो, नियम करो, सुबह जल्दी उठकर संध्या में बैठो । जो अपनी ज़िन्दगी की कदर करता है वह तत्पर हो जाता है । जिसका मन मूर्ख है और वह खुद मन का गुलाम है, वह तो चाबुक खाने के बाद थोड़ा चलेगा और फिर चलना छोड़ देगा ।
मूर्ख हृदय न चेत
यद्यपि गुरु मिलहीं बिरंचि सम।
भले ब्रह्माजी गुरु मिल जायें फिर भी मूर्ख आदमी सावधान नहीं रहता ।
Pujya Asharam Ji Bapu
जो बुद्धिमान ऐसा समझता है उसको प्रत्येक मिनट का सदुपयोग करने की रुचि होती है । उसे कहना नहीं पड़ता कि ध्यान करो, नियम करो, सुबह जल्दी उठकर संध्या में बैठो । जो अपनी ज़िन्दगी की कदर करता है वह तत्पर हो जाता है । जिसका मन मूर्ख है और वह खुद मन का गुलाम है, वह तो चाबुक खाने के बाद थोड़ा चलेगा और फिर चलना छोड़ देगा ।
मूर्ख हृदय न चेत
यद्यपि गुरु मिलहीं बिरंचि सम।
भले ब्रह्माजी गुरु मिल जायें फिर भी मूर्ख आदमी सावधान नहीं रहता ।
Pujya Asharam Ji Bapu
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