मरणं
बिन्दुपातेन
जीवनं
बिन्दुधारणात्।
वीर्यधारण
होना जीवन है
और वीर्यपात
होना मृत्यु
है। अनुष्ठान
करके जिस
जीवनशक्ति को
जगाकर उसको
भली प्रकार
विकसित करके
अपने आदर्श को
सिद्ध करना है
उसी शक्ति को
ब्रह्मचर्य
के भंग में
नष्ट कर देना
तो बेवकूफी
है।
ब्रह्मचर्य
के दृढ़ पालन
के बिना
अनुष्ठान का
पूरा लाभ नहीं
उठा पायेंगे।
Pujya Asharam Ji Bapu
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