तुलसीदासजी
ने कहा हैः
तुलसी
अपने राम को
रीझ भजो या
खीज।
भूमि
फेंके उगेंगे
उलटे सीधे
बीज।।
गुरु
नानक जी कहते
हैं कि हरिनाम
का आहलाद अलौकिक
है।
भाँग
तमाखू छूतरा
उतर जात
परभात।
नाम
खमीरी नानका
चढ़ी रहे दिन
रात।।
नामजप-कीर्तन
की इतनी भारी
महिमा है कि
वेद-वेदांग,
पुराण,
संस्कृत,
प्राकृत – सभी
ग्रंथों में
भगवन्नाम-कीर्तन
की महिमा गायी
गयी है।
Pujya Asharam Ji Bapu
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