जो
चीज मिलती है
उसका सदुपयोग
नहीं होता तो
दुबारा वह चीज
नहीं मिलती।
मानव देह
मिली, बुद्धि
मिली और उसका
सदुपयोग नहीं
किया,
सुख-दुःख की
लपटों में
स्वाहा हो गये
तो दुबारा
मानव देह नहीं
मिलेगी।
इसीलिए
तुलसीदास जी
कहते हैं-
जौ न
तरै भवसागर नर
समाज अस पाई।
सो
कृत निन्दक
मन्दमति
आतमहन अधोगति
जाई।Pujya Asharam Ji Bapu
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