Sunday, 6 May 2012

463_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

  प्राण सब प्रकार के सामर्थ्य का अधिष्ठान होने से प्राणायाम सिद्ध होने पर अनंतशक्ति भंडार के द्वार खुल जाते हैं। अगर कोई साधक प्राणतत्त्व का ज्ञान प्राप्त कर उस पर अपना अधिकार प्राप्त कर ले तो जगत में ऐसी कोई शक्ति नहीं है जिसे वह अपने अधिकार में न कर ले। वह अपनी इच्छानुसार सूर्य और चन्द्र को भी गेंद की तरह उनकी कक्षा में से विचलित कर सकता है। अणु से लेकर सूर्य तक जगत की तमाम चीजों को अपनी मर्जी अनुसार संचालित कर सकता है । योगाभ्यास पूर्ण होने पर योगी समस्त विश्व पर अपना प्रभुत्व स्थापित कर सकता है। उसके संकल्प बल से मृत प्राणी जिन्दे हो सकते हैं। जिन्दे उसकी आज्ञानुसार कार्य करने को बाध्य हो जाते हैं। देवता और पितृलोकवासी जीवात्मा उसके हुक्म को पाते ही हाथ जोड़कर उसके आगे खड़े हो जाते हैं। तमाम रिद्धि सिद्धियाँ उसकी दासी बन जाती हैं। प्रकृति की समग्र शक्तियों का वह स्वामी बन जाता है क्योंकि उस योगी ने प्राणायाम सिद्ध करके समष्टि प्राण को अपने काबू में किया है ।
 Pujya Asharam Ji Bapu

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