565_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
सदा
स्मरण रहे कि
इधर-उधर भटकती
वृत्तियों के साथ
तुम्हारी
शक्ति भी
बिखरती रहती
है। अतः वृत्तियों
को बहकाओ
नहीं। तमाम
वृत्तियों को एकत्रित
करके
साधना-काल में
आत्मचिन्तन
में लगाओ और
व्यवहार-काल
में जो कार्य
करते हो उसमें
लगाओ
Pujya Asharam Ji Bapu
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