भगवान के
प्यारे भक्त
दृढ़ निश्चयी
हुआ करते हैं।
वे बार-बार
प्रभु से
प्रार्थना
किया करते हैं
और अपने
निश्चय को
दुहराकर
संसार की वासनाओं
को, कल्पनाओं
को शिथिल किया
करते हैं। परमात्मा
के मार्ग पर
आगे बढ़ते हुए
वे कहते हैं-
'हम
जन्म-मृत्यु
के
धक्के-मुक्के
अब न खायेंगे।
अब आत्माराम
में आराम
पायेंगे।
मेरा कोई पुत्र
नहीं, मेरी
कोई पत्नी
नहीं, मेरा
कोई पति नही,
मेरा कोई भाई
नहीं। मेरा मन
नहीं, मेरी
बुद्धि नहीं,
चित्त नहीं,
अहंकार नहीं।
मैं पंचभौतिक
शरीर नहीं।
चिदानन्दरूपः
शिवोऽहम्
शिवोऽहम्।Pujya Asharam Ji Bapu
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.