Sunday, 27 May 2012

563_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

अपनी ही कृति से तुम गुरु को नजदीक या दूर अनुभव करते हो। ब्रह्मज्ञानी न तो किसी को दूर धकेलते हैं, न ही नजदीक लाते हैं। तुम्हारी श्रद्धा और व्यवहार ही तुम्हें उनसे नजदीक या दूर होने का एहसास कराते हैं
Pujya Asharam Ji Bapu

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