Friday, 11 May 2012

489_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

यदि पर्वत के समान अनेक योजन विस्तारवाले पाप हों तो भी ध्यानयोग से छेदन हो जाते हैं। इसके सिवाय दूसरे किसी भी उपाय से कभी भी उनका छेदन नहीं होता ।
(ध्यान बिन्दु उपनिषद्)

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