जिस
प्रकार धुआँ
सफेद मकान को
काला कर देता
है, उसी
प्रकार
विषय-विकार
एवं कुसंग नेक
व्यक्ति का भी
पतन कर देते
है।
'सत्संग
तारे, कुसंग
डुबोवे।'
जैसे
हरी लता पर
बैठने वाला
कीड़ा लता की
भाँति हरे रंग
का हो जाता है,
उसी प्रकार
विषय-विकार
एवं कुसंग से
मन मलिन हो
जाता है।
इसलिए
विषय-विकारों
और कुसंग से
बचने के लिए
संतों का संग
अधिकाधिक
करना चाहिए।Pujya Asharam Ji Bapu
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