Sunday, 13 May 2012

499_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जीवन में निर्भयता आनी चाहिए। पाप के सामने, अनाचार के सामने कभी बोलना पड़े तो बोल देना चाहिए।
निर्भयता ऐसा तत्त्व है कि उससे परमात्म-तत्त्व में पहुँचने की शक्ति आती है।डामेच और गुंडा स्वभाव का आदमी दूसरों का शोषण करता है। निर्भीक दूसरों का शोषण नहीं करता, पोषण करता है। अतः जीवन में निर्भयता लानी चाहिए।समाज में लोग डरपोक होकर गुण्डा तत्त्वों को पोसते रहते हैं और स्वयं शोषे जाते हैं। कुछ अनिष्ट घटता हुआ देखते हैं तो उसका प्रतिकार नहीं करते। 'हमारा क्या..... हमारा क्या.....? करेगा सो भरेगा....।' ऐसी दुर्बल मनोदशा से सिकुड़ जाते हैं। 

 Pujya Asharam Ji Bapu

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