खूब शान्ति में डूबते जाओ। अपने शान्त स्वभाव में ब्रह्मभाव में परमात्म-स्वभाव में, परितृप्ति स्वभाव में शान्त होते जाओ। अनुभव करते जाओ किः सर्वोऽहम.... शिवोऽहम्... आत्मस्वरूपोऽहम्... चैतन्यऽहम्...। मैं चैतन्य हूँ। मैं सर्वत्र हूँ। मैं सबमें हूँ। मैं परिपूर्ण हूँ। मैं शांत हूँ। ॐ......ॐ......ॐ.......
Pujya Asharam Ji Bapu
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