तीरथ नहाये एक फल संत मिले फल चार।
सदगुरू मिले अनन्त फल कहे कबीर विचार।।
तीर्थ में स्नान करो तो पुण्य बढ़ेगा। संत का सान्निध्य मिले तो धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष इन चारों के द्वार खुल जाएँगे। वे ही संत जब सदगुरू के रूप में मिल जाते हैं तो उनकी वाणी हमारे हृदय में ऐसा गहरा प्रभाव डालती है कि हम अपने वास्तविक 'मैं' में पहुँच जाते हैं।
Pujya Asharam Ji Bapu
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.