Friday, 16 March 2012

311_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

रोटी की जितनी जरूरत है, कपड़ों की जितनी जरूरत है, मकान की जितनी जरूरत है उससे हजार गुनी ज्यादा जरूरत है सच्ची समझ की। सच्ची समझ के बिना हमारा जीवन सुख का और दुःखों का शिकार हुआ जा रहा है। लोग बोलते हैं-
'बापू ! बेटा नहीं है इसलिए दुःख हो रहा है। रोना आता है....!'
किसी का बेटा नहीं है तो दुःख हो रहा है, किसी को पति नहीं है, पत्नी नहीं है, मकान नहीं है तो दुःख हो रहा है लेकिन जिनके आगे हजारों बेटों की, हजारों पतियों की, हजारों पत्नियों की, हजारों मकानों की, हजारों दुकानों की कोई कीमत नहीं है ऐसे परमात्मा हमारे साथ हैं, भीतर हैं फिर भी आज तक उनकी पहचान नहीं हुई इस बात का दुःख नहीं होता। आनंदस्वरूप अन्तर्यामी परमात्मा का अनुभव नहीं होता इसके लिए रोना नहीं आता।
Pujya Asharam Ji Bapu

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