जब तक देहाभिमान की नालियों में पड़े रहोगे तब तक चिन्ताओं के बन्डल तुम्हारे सिर पर लदे रहेंगे। तुम्हारा अवतार चिन्ताओं के जाल में फँस मरने के लिए नहीं हुआ है। तुम्हारा जन्म संसार की मजदूरी करने के लिए नहीं हुआ है, हरि का प्यारा होने के लिए हुआ है। हरि को भजे सो हरि का होय। ख्वामखाह चाचा मिटकर भतीजा हो रहे हो ? दुर्बल विचारों और कल्पनाओं की जाल में बँध रहे हो ? कब तक ऐसी नादानी करते रहोगे तुम ? ॐ..ॐ...ॐ...
Pujya Asharam Ji Bapu
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