Tuesday 25 August 2015

1319_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU



संसार की तमाम वस्तुऐं सुखद हों या भयानक, वास्तव में तो तुम्हारी प्रफ़ुलता और आनंद के लिये ही प्रकृति ने बनाई हैं । उनसे ड़रने से क्या लाभ ? तुम्हारी नादानी ही तुम्हें चक्कर में ड़ालती है । अन्यथा, तुम्हें नीचा दिखाने वाला कोई नहीं । पक्का निश्चय रखो कि यह जगत तुम्हारे किसी शत्रु ने नहीं बनाया । तुम्हारे ही आत्मदेव का यह सब विलास है ।
-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Sunday 23 August 2015

1318_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

ज्ञान के कठिनमार्ग पर चलते वक्त आपके सामने जब भारी कष्ट एवं दुख आयें तब आप उसे सुख समझो क्योंकि इस मार्ग में कष्ट एवं दुख ही नित्यानंद प्राप्त करने में निमित्त बनते है | अतः उन कष्टों, दुखों और आघातों से किसी भी प्रकार साहसहीन मत बनो, निराश मत बनो | सदैव आगे बढ़ते रहो | जब तक अपने सत्यस्वरूप को यथार्थ रूप से न जान लो, तब तक रुको नहीं |
-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Friday 21 August 2015

1317_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU




किसी भी तरह समय बिताने के लिये मज़दूर की भांति काम मत करो | आनंद के लिये, उपयोगी कसरत समझकर, सुख, क्रीड़ा या मनोरंजक खेल समझकर एक कुलीन राजकुमार की भांति काम करो | दबे हुए, कुचले हुए दिल से कभी कोई काम हाथ में मत लो |

-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

1316_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

भगवान को पदार्थ अर्पण करना, सुवर्ण के बर्तनों में
भगवान को भोग लगाना, अच्छे वस्त्रालंकार से
भगवान की सेवा करना यह सब के बस की बात
नहीं है। लेकिन अन्तर्यामी भगवान को प्यार करना
सब के बस की बात है।
 

-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Wednesday 19 August 2015

1315_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU




आकल्पजन्मकोटीनां यज्ञव्रततपः क्रियाः।
ताः सर्वाः सफला देवि गुरूसंतोषमात्रतः।।


'हे देवी ! कल्पपर्यन्त के, करोड़ों जन्मों के यज्ञ, व्रत, तप और शास्त्रोक्त क्रियाएँ... ये सब गुरूदेव के संतोष मात्र से सफल हो जाते हैं।'
(भगवान शंकर)

1314_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU



अपने दोषों को खोजो।
जो अपने दोष देख सकता है,वह
कभी-न-कभी उन दोषों को
दूर करने के लिए भी
प्रयत्नशील होगा ही।
ऐसे मनुष्य की
उन्नति निश्चित है।
-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Monday 17 August 2015

1313_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU


पहले अमृत जैसा पर
बाद में विष से भी बदतर हो,
वह विकारों का सुख है।
प्रारंभ में कठिन लगे,
दुःखद लगे, बाद में
अमृत से भी बढ़कर हो,
वह भक्ति का सुख है।


-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

1312_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

 >>> सदा शांत और निर्भय रहो <<<
कल की चिन्ता छोड़ दो। बीती हुई कल्पनाओं को, बीती हुई घटनाओं को स्वप्न समझो। आने वाली घटना भी स्वप्न है। वर्त्तमान भी स्वप्न है। एक अन्तर्यामी अपना है। उसी को प्रेम करते जाओ और अहंकार को डुबाते जाओ उस परमात्मा की शान्ति में।
-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Sunday 16 August 2015

1311_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU




स्मृति मात्रेण.....।

ईश्वर, परमात्मा हमारे से कभी दूर गये ही नहीं। उनकी केवल विस्मृति हो गई। आने वाले कल की चिन्ता छोड़ते हुए अपने शुद्ध आत्मा के भाव में जिस क्षण आ जाओ उसी क्षण ईश्वरीय आनन्द या आत्म-खजाना मौजूद है।

-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Saturday 15 August 2015

1310_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

>>> भारत के सपूत <<<
हे भारत के सपूतो ! तुम ही भावी भारत के भाग्य-विधाता हो। अतः अभी से अपने जीवन में सत्यपालन, ईमानदारी, संयम, सदाचार, न्यायप्रियता आदि गुणों को अपनाकर अपना जीवन महान बनाओ।

-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Friday 14 August 2015

1309_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

>>>> भक्त का मतलब <<<

भक्त का मतलब हैः जो अपने चैतन्यस्वरूप अन्तर्यामी परमात्मा से विभक्त न हो। संसारी लोग नश्वर संसार में जितना भरोसा करते हैं उससे अनन्त गुना भरोसा उसे परमात्मा में होता है। वह सच्चा भक्त है।

-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Wednesday 12 August 2015

1308_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

>>>>> मधुर वाणी <<<<
जैसे जहाज समुद्र को पार करने के लिए साधन है वैसे ही सत्य ऊर्ध्वलोक में जाने के लिए सीढ़ी है । व्यर्थ बोलने की उपेक्षा मौन रहना बेहतर है । वाणी की यह प्रथम विशेषता है । सत्य बोलना दूसरी विशेषता है । प्रिय बोलना तीसरी विशेषता है । धर्मसम्मत बोलना यह चौथी विशेषता है ।
-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

1307_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU



अपने गुरुत्वाकर्षण का केन्द्र तुम आप बनो । स्वाश्रयी बनो । अपने भीतर के आधार और अधिष्ठान को पा लो । दूसरों के मत और आलोचना की परवाह मत करो । असत्य, निंदा, चुगलखोरी और कठोरता इन वाणी के पापों से बचो ।
-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Tuesday 11 August 2015

1306_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU



>>> तेजस्वी बनो <<<<
शाबाश वीर ! शाबाश.... उठो। हिम्मत करो। परमात्मा तुम्हारे साथ है, सदगुरु की कृपा तुम्हारे साथ है फिर किस बात का भय ? कैसी निराशा ? कैसी हताशा ? कैसी मुश्किल ? मुश्किल को मुश्किल हो जाये ऐसा खजाना तुम्हारे पास है। तुम अवश्य सफलता की बुलंदियों को छू सकते हो। संयम और सदाचार – ये दो सूत्र अपना लो, बस !
-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Sunday 9 August 2015

1305_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

>>> सहानुभूति व नम्रता <<<
तुमसे कोई बुरा बर्ताव करे तो उसके साथ भी अच्छा बर्ताव करो और ऐसा करके अभिमान न करो । दूसरों की भलाई में तुम जितना ही अपने अहंकार को और स्वार्थ को भूलोगे उतना ही तुम्हारा वास्तविक हित अधिक होगा ।
-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Saturday 8 August 2015

1304_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU


मधुर व्यवहार

प्रेम, सहानुभूति, सम्मान, मधुर वचन, सक्रिय हित, त्याग-भावना आदि से हर किसीको सदा के लिए अपना बना सकते हो । तुम्हारा ऐसा व्यवहार होगा तो लोग तुम्हारे लिए बड़े-से-बड़े त्याग के लिए तैयार हो जायेंगे । तुम्हारी लोकप्रियता मौखिक नहीं रहेगी । लोगों के हृदय में बड़ा मधुर और प्रिय स्थान तुम्हारे लिए सुरक्षित हो जाएगा ।



-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

1303_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

सन्तुष्टोऽपि न सन्तुष्टः खिन्नोऽपि न च खिद्यते।
तस्याश्चर्यदशां तां तां तादृशा एव जानते॥


धीर पुरुष संतुष्ट होते हुए भी संतुष्ट नहीं होता और खिन्न दिखता हुआ भी खिन्न नहीं होता। उसकी ऐसी आश्चर्य दशा को उसके जैसा पुरुष  ही जान सकता है।

अष्टावक्र गीता

चिन्ता सहित है दीखता, फिर भी न चिन्तायुक्त है।
मन बुद्धि वाला भासता, मन बुद्धि से निर्मुक्त है॥
दीखे भले ही खिन्न, पर जिसमें नहीं है खिन्नता।
गम्भीर ऐसे धीर को, वैसा ही विरला जानता॥

Friday 7 August 2015

1302_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU


तुच्छ हानि-लाभ पर आपका ध्यान इतना
क्यों रहता है जिससे अनंत आनन्दस्वरूप
आत्मा पर से ध्यान हट जाता है ।

-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Thursday 6 August 2015

1301_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

नौनिहालों को पूज्य बापू जी का उदबोधन

अपनी उन्नति में बाधक, दुर्बलता के विचारों को जड़ से उखाड़ फेंको। उनके मूल पर ही कुठाराघात करो।  हलके संग का त्याग, सत्शास्त्रों का अध्ययन, सत्संग-श्रवण, ध्यान, सारस्वत्य मंत्र का जप – ये बुद्धिशक्ति के सर्वांगीण विकास के लिए अत्यंत उपयोगी साधन है।

-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Wednesday 5 August 2015

1300_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

हजार-हजार विघ्न-बाधाएँ आ जायें फिर भी जो संयम का, सदाचार का, सेवा का, ध्यान का, भगवान की भक्ति का रास्ता नहीं छोड़ता वह जीते जी मुक्तात्मा, महान आत्मा, परमात्मा के ज्ञान से सम्पन्न सिद्धात्मा जरूर हो जाता है और अपने कुल-खानदान का भी कल्याण कर लेता है। तुम ऐसे कुलदीपक बनना। ૐ....ૐ... बल.... हिम्मत... दृढ़ संकल्पशक्ति का विकास...... पवित्र आत्मशक्ति का विकास ......ૐ.....ૐ.....
-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

1299_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU



धन्या माता पिता धन्यो गोत्रं धन्यं कुलोद्भवः।
धन्या च वसुधा देवि यत्र स्याद् गुरुभक्तता।।

हे पार्वती ! जिसके अंदर गुरुभक्ति हो उसकी माता धन्य है, उसका पिता धन्य है, उसका वंश धन्य है, उसके वंश में जन्म लेने वाले धन्य हैं, समग्र धरती माता धन्य है।"

"ऋषि प्रसाद एवं ऋषि दर्शन की सेवा गुरुसेवा, समाजसेवा, राष्ट्रसेवा, संस्कृति सेवा, विश्वसेवा, अपनी और अपने कुल की भी सेवा है।"


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