Saturday 30 April 2016

1433_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

~~~~ संत सान्निध्य ~~~~

जिनका जीवन आज भी किसी संत या महापुरुष के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष सान्निध्य में है, उनके जीवन में निश्चिन्तता, निर्विकारिता, निर्भयता, प्रसन्नता, सरलता, समता व दयालुता के दैवी गुण साधारण मानवों की अपेक्षा अधिक ही होते हैं तथा देर-सवेर वे भी महान हो जाते हैं और जो लोग महापुरुषों का, धर्म का सामीप्य व मार्गदर्शन पाने से कतराते हैं, वे प्रायः अशांत, उद्विग्न व दुःखी देखे जाते हैं व भटकते रहते हैं। इनमें से कई लोग आसुरी वृत्तियों से युक्त होकर संतों के निन्दक बनकर अपना सर्वनाश कर लेते हैं।


 -Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Friday 29 April 2016

1432_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

~~~~~ अहम ब्रह्मास्मि ~~~~~

मैं सब हूँ।मैं विशाल आकाश की नाईं सर्वव्यापक हो रहा हूँ। मैं चिदाकाश-स्वरूप हूँ। सूर्य और चाँद मुझमें लटक रहे हैं।  सब तारे मुझमें टिमटिमा रहे हैं इतना मैं विशाल हूँ। कई राजा-महाराजा इस आकाशस्वरूप चैतन्य में आ-आकर चले गये। मैं वह आकाश हूँ। मैं सर्वव्यापक हूँ। मैं कोई परिस्थिति नहीं हूँ लेकिन सब परिस्थितियों को पहचाननेवाला आधारस्वरूप आत्मा हूँ। आनन्द और शान्ति मेरा अपना स्वभाव है।इस प्रकार अपनी वृत्ति को विशाल... विशाल गगनगामी होने दो।


-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Thursday 28 April 2016

1431_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

~~~~~ वैराग्यरागरसिको भवः ~~~~~~

उठ जाओ और वैराग्य का आश्रय लो। जैसे साईकल के पहिए निकाल दो तो साईकल चलना मुश्किल है ऐसे ही जीवन से अभ्यास और वैराग्य हटा दो तो प्रभु की यात्रा होना मुश्किल है।

अतः तुम ध्यान का अभ्यास करो और विवेक के साथ अपने भीतर छुपे हुए वैराग्य को जगाकर वैराग्य में ही राग रखो। वैराग्यरागरसिको भवः। संसार के राग से बचकर प्रभु परायण हो जाओ।



-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Wednesday 27 April 2016

1430_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU


नहिं दरिद्र सम दुख जग माहीं। संत मिलन सम सुख जग नाहीं॥
पर उपकार बचन मन काया। संत सहज सुभाउ खगराया॥


भावार्थ:-जगत् में दरिद्रता के समान दुःख नहीं है तथा संतों के मिलने के समान जगत् में सुख नहीं है। और हे पक्षीराज! मन, वचन और शरीर से परोपकार करना, यह संतों का सहज स्वभाव है॥

Tuesday 26 April 2016

1429_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

परमात्म-शान्ति

कल की चिन्ता छोड़ दो। बीती हुई कल्पनाओं को, बीती हुई घटनाओं को स्वप्न समझो। आने वाली घटना भी स्वप्न है। वर्त्तमान भी स्वप्न है।
एक अन्तर्यामी अपना है। उसी को प्रेम करते जाओ और अहंकार को डुबाते जाओ उस परमात्मा की शान्ति में।


 -Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu
 

Monday 25 April 2016

1428_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

सबको स्नेह , सबका मंगल
 
हम अपना देखने का दृष्टिकोण बदल दें तो हमारे लिए यह सारा संसार स्वर्ग से भी सुंदर बन जाय। अपने  पराये का भेद मिट जाय, मेरे तेरे की भावना विलीन हो जाय और सुख का साम्राज्य छा जाय। हम सबको स्नेह दें, सबका मंगल चाहें। 

 -Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Sunday 24 April 2016

1427_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

मधुर मधुर नाम हरि हरि ॐ ।। पावन पावन नाम हरि हरि ॐ ।।
पापों का विनाशक नाम हरि हरि ॐ ।। मंगल मंगल नाम हरि हरि ॐ ।।
कलि का किनारा नाम हरि हरि ॐ ।। पापों का विनाशक नाम हरि हरि ॐ ।।
पुण्यों का प्रदायक नाम हरि हरि ॐ ।।

Saturday 23 April 2016

1426_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

तुम जितना समाहित चित्त होते जाओगे, उतना जगत तुम्हारे चरणों के नीचे आता जायेगा।
-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Friday 22 April 2016

1425_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU


है माना मेरे दाता तुम्हारी हस्ती जमींन से आशमान तक है
मगर देखना अब मुझे ..
मेरे नजर कहाँ तक है..

Wednesday 20 April 2016

1424_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

साहसी बनो

तूफान और आँधी हमको न रोक पाये।
वे और थे मुसाफिर जो पथ से लौट आये।।


धैर्य न छोड़ो। हजार बार असफल होने पर भी एक कदम और रखो। फिर से रखो। अवश्य सफलता मिलेगी। संशयात्मा विनश्यति। संशय निकाल दो।

-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Tuesday 19 April 2016

1423_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

सर्वत्र एक ब्रह्म

मैं भी नहीं और मुझसे अलग अन्य भी कुछ नहीं | साक्षात् आनन्द से परिपूर्ण, केवल, निरन्तर और सर्वत्र एक ब्रह्म ही है | उद्वेग छोड़कर केवल यही उपासना सतत करते रहो |

-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Monday 18 April 2016

1422_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU


सेवा करने वाला सामने वाले के गुणदोष देखेगा तो सेवा नहीं कर पायेगा। यज्ञार्थ कर्म करते जाओ। अपना कर्त्तव्य निभाते जाओ।

 -Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Saturday 16 April 2016

1421_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

ये चिराग ऐसे है जो आँधियों में जलते है ।
 तुम बुझा न पाओगे कह दो इन हवाओं से ।।..

1420_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

सौभाग्यशाली साधक अपने को एकदम खाली, एकदम अकेला, रूखा महसूस नहीं करते। वे अपने साथ परम चेतना का अस्तित्व महसूस करते हैं ।

 -Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Friday 15 April 2016

1419_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

वेदान्त की बात आपके अनुभव में आने से सारे दुःख ओस की बूँद की तरह लुप्त हो जायेंगे ।मैं नितान्त सत्य कह रहा हूँ ।

 -Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Thursday 14 April 2016

1418_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

 एको ब्रह्म द्वितीयो नास्ति

साधक'पर' की सेवा करते-करते 'पर' में 'स्व' को देखता है, 'स्व' में 'पर' को देखता है. 'स्व' और 'पर' की भ्रांति मिटाकर एको ब्रह्म द्वितीयो नास्ति के अनुभव में जग जाता है।

 -Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Wednesday 13 April 2016

1417_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

शरीर की मौत हो जाना कोई बड़ी बात नहीं, लेकिन श्रद्धा की मौत हुई तो समझो सर्वनाश हुआ।

-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Tuesday 12 April 2016

1416_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

अनन्य भक्ति

हरिरस को, हरिज्ञान को, हरिविश्रान्ति को पाये बिना जिसको बाकी सब व्यर्थ व्यथा लगती है, ऐसे साधक की अनन्य भक्ति जगती है।


-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Monday 11 April 2016

1415_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

गव्यं पवित्रं च रसायनं च , पथ्यं च हृदयं बलबुद्धिम ।
आयुः प्रदं रक्तविकारहारि, त्रिदोषहृद्रोगविषापहं स्यात ।।


भारतीय गाय से प्राप्त होने वाले गव्य पवित्र हैं, रसायन हैं और हृदय के लिए औषधी हैं, वे बल एवं बुद्धि को बढ़ाते हैं । वे लंबी आयु देते हैं, रक्त के विकारों को हर दूर करते हैं, तीनों दोषों (वात, पित्त, कफ) को संतुलित रखते हैं, वे सभी रोगों का उपचार एवं शरीर को विष(दोष) रहित करते हैं ।

Sunday 10 April 2016

1414_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

सम्राट के साथ राज्य करना भी बुरा है न जाने कब रुला दे।
संत के साथ भीख माँगकर रहना भी अच्छा है न जाने कब मिला दे।।

Saturday 9 April 2016

Thursday 7 April 2016

1411_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

वीर तुम बढ़े चलो !

न हाथ एक शस्त्र हो, न साथ एक अस्त्र हो। न अन्न नीर वस्त्र हो, हटो नहीं डटो वहीं।। बढ़े चलो....
रहे समझ हिम शिखर, तुम्हारा पग उठे निखर। भले ही जाय तन बिखर, रूको नहीं झुको नहीं।। बढ़े चलो......

Tuesday 5 April 2016

1410_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU


सौभाग्य से मिले ये जोगी, सबको धन्य किया है। शांति, प्रेम और ज्ञान का, अमृत, हमने यहीं पिया है।।
सूर्य करे है दिन में उजाला, चाँद करे रातों में। जोगी ज्ञान का करे उजाला, सतत सभी के दिलों में।।

Monday 4 April 2016

1409_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

औरों को जो मिला है वह उनके  मुक्कदर से मिला है ।
 हमको तो मुक्कदर भी बापू तेरे दर से मिला है ।।

तेरे दर तक पहुचने तो पाये फिर ये न पूछों कि हम क्या करेगें ....
सर झुकाना  अगर जुर्म होगा हम निगाहों से सजदा करेंगे...

Sunday 3 April 2016

1408_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जो आनन्द सन्त फकीर करे
वो आनन्द नहीं अमीरी में
आनन्द सन्त फकीर करे
सुख दुःख में समता साथ रहे
सुख दुःख में समता साथ रहे

कुछ खौफ नहीं जागीरी में
जो आनन्द सन्त फकीर करे
आनन्द नहीं अमीरी में
जो आनन्द सन्त फकीर करे
हर रंग में सेवक रूप रहे
अमृत जल का ज्यूँ कूप रहे
हर रंग में सेवक रूप रहे

अमृत जल का ज्यूँ कूप रहे
सत्कर्म करे और चुप रहे
सत्कर्म करे और चुप रहे
भले छाँव मिले या धूप रहे
भले छाँव मिले या धूप रहे

निस्पृही बने जग में विचरे
निस्पृही बने जग में विचरे

रहे वे धीर गम्भीरी में
जो आनन्द सन्त फकीर करे
वो आनन्द नहीं अमीरी में
आनन्द सन्त फकीर करे

जग तारण कारण देह धरे
सत् सेवा करे जग पाप हरे
जग तारण कारण देह धरे
सत् सेवा करे जग पाप हरे
जिज्ञासु के घट में ज्ञान भरे
जिज्ञासु के घट में ज्ञान भरे
सत् वाणी सदा मुख से उचरे
सत् वाणी सदा मुख से उचरे
शदृपि को बस कर रंग में रमे
शदृपि को बस कर रंग में रमे

रहे वे सदा शूर वीरी में

जो आनन्द सन्त फकीर करे
वो आनन्द नहीं अमीरी में
आनन्द सन्त फकीर करे
सत् बोध जगत में आइत है
सत् मार्रग को दिखलाइत है
सत् बोध जगत में आइत है

सत् मार्रग को दिखलाइत है
गुरु ज्ञान से पद यह गाइत है
गुरु ज्ञान से पद यह गाइत है
सत्कार शब्द समझाइत है
सत्कार शब्द समझाइत है

मरजीव बने सो मौज करे
मरजीव बने सो मौज करे

रहे वे अल्मस्त फकीरी में
जो आनन्द सन्त फकीर करे

वो आनन्द नहीं अमीरी में

सुख दुःख में समता साथ रहे
सुख दुःख में समता साथ रहे
सुख दुःख में समता साथ रहे
सुख दुःख में समता साथ रहे

कुछ खौफ नहीं जागीरी में
जो आनन्द सन्त फकीर करे
वो आनन्द नहीं अमीरी में
जो आनन्द सन्त फकीर करे

1409_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

बाहर के नाते-रिश्तों को, बाहर के सांसारिक व्यवहार को उतना ही महत्त्व दो जहाँ तक कि वे साधना के मार्ग में विघ्न न बनें। साधना मेरा प्रमुख कर्त्तव्य है, बाकी सब कार्य गौण हैं – इस दृढ़ भावना के साथ अपने पथ पर बढ़ते जाओ।

  -Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Saturday 2 April 2016

1406_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

आज तक जो सुख-दुःख आया वह बीत गया और जो आयेगा वह
बीत जायेगा । जो होगा, देखा जायेगा । आज तो मौज में रहो ।

  -Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Friday 1 April 2016

1405_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU



जो दूसरों का सहारा खोजता है, वह सत्यस्वरूप ईश्वर की सेवा नहीं कर सकता |

  -Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu
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