Monday 19 March 2012

322_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

दुःख में दुःखी और सुख में सुखी होने वाला मन लोहे जैसा है। सुख-दुःख में समान रहने वाला मन हीरे जैसा है। दुःख सुख का जो खिलवाड़ मात्र समझता है वह है शहंशाह। जैसे लोहा, सोना, हीरा सब होते हैं राजा के ही नियंत्रण में, वैसे ही शरीर, इन्द्रियाँ, मन, बुद्धि, सुख-दुःखादि होते हैं ब्रह्मवेत्ता के नियंत्रण में। 

Pujya Asharam Ji Bapu

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