Sunday 18 March 2012

320_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

श्रीकृष्ण यह नहीं कहते कि आप मंदिर में, तीर्थस्थान में या उत्तम कुल में प्रगट होगे तभी मुक्त होगे। श्रीकृष्ण तो कहते हैं कि अगर आप पापी से भी पापी हो, दुराचारी से भी दुराचारी हो फिर भी मुक्ति के अधिकारी हो।
अपि चेदसि पापेभ्यः सर्वभ्यः पापकृत्तमः।
सर्वं ज्ञानप्लवेनैव वृजिनं संतरिष्यसि।।
'यदि तू अन्य सब पापियों से भी अधिक पाप करने वाला है, तो भी तू ज्ञानरूप नौका द्वारा निःसन्देह संपूर्ण पाप-समुद्र से भलीभाँति तर जायेगा।'
(भगवद् गीताः .३६)
हे साधक ! इस जन्माष्टमी के प्रसंग पर तेजस्वी पूर्णावतार श्रीकृष्ण की जीवन-लीलाओं से, उपदेशों से और श्रीकृष्ण की समता और साहसी आचरणों से सबक सीख, सम रह, प्रसन्न रह, शांत हो, साहसी हो, सदाचारी हो। स्वयं धर्म में स्थिर रह, औरों को धर्म के मार्ग में लगाता रह। मुस्कराते हुए आध्यात्मिक उन्नति करता रह। औरों को सहाय करता रह। कदम आगे रख। हिम्मत रख। विजय तेरी है। सफल जीवन जीने का ढंग यही है।
जय श्रीकृष्ण ! कृष्ण कन्हैयालाल की जय....!

Pujya Asharam Ji Bapu

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