Thursday, 15 March 2012

305_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

हे निष्पाप श्री राम ! तुम दैव का आश्रय त्याग कर अपने पुरुषार्थ का आश्रय करो। जिसने अपना पुरुषार्थ त्यागा है उसको सुन्दरता, कान्ति और लक्ष्मी त्याग जाती है।
Shri Yoga Vashishtha Maharamayan

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