Sunday, 18 March 2012

321_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

धीरो न द्वेष्टि ससारं आत्मानं न दिदृक्षति।
हर्षाभर्षविनिर्मुक्तो न मृतो न च जीवति।।
"हर्ष और द्वेष से रहित ज्ञानी संसार के प्रति न द्वेष करता है और न आत्मा को देखने की इच्छा करता है। वह न मरा हुआ है और न जीता है।"
(अष्टावक्र गीताः 83)

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