Friday 16 March 2012

313_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

उमा तिनके बड़े अभाग, जे नर हरि तजि विषय भजहिं।
परमात्मा को छोड़कर जो विषयों का चिन्तन करते हैं उनके बड़े दुर्भाग्य हैं। विष में और विषय में अन्तर है। विष का चिन्तन करने से मौत नहीं होती, विष का चिन्तन करने से पतन नहीं होता, विष जिस बोतल में रहता है उस बोतल का नाश नहीं करता लेकिन विषय जिस चित्त में रहता है उसको बरबाद करता है, विषय का चिन्तन करने मात्र से पतन होता है, साधना की मौत होती है। विषय इस जीव के लिए इतने दुःखद हैं कि समुद्र में डूबना पड़े तो डूब जाना, आग में कूदना पड़े तो कूद पड़ना, विषधर को आलिंगन करना पड़े तो कर लेना लेकिन लीलाशाह बापू जैसे महापुरुष कहते हैं किः "भाइयों ! अपने को विषयों में मत गिरने देना। आग में कूदोगे तो एक बार ही मृत्यु होगी, समुद्र में डूबोगे तो एक बार ही मृत्यु होगी लेकिन विषयों में डूबे तो न जाने कितनी बार मृत्यु होगी इसका कोई हिसाब नहीं।"
Pujya asharam ji bapu

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