Sunday, 4 March 2012

273_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

तुम जब संसार से सुख लेने की इच्छा करते हो तो दो पैसे के हो जाते हो। संसार से सुख लेने की इच्छा छोड़कर ईश्वर में गोता मारते हो तो ईश्वर हो जाते हो। यह महापुरूषों का अनुभव है, शास्त्रों का प्रमाण है। भगवान श्रीकृष्ण भी कह रहे हैं-
प्रजहाति यदा कामान् सर्वान् पार्थ मनोगतान्।
आत्मन्येवात्मना तुष्टः स्थितप्रज्ञस्तदोच्यते।।
''हे अर्जुन ! जिस काल में पुरूष मन में स्थित सम्पूर्ण कामनाओं को भली भाँति त्याग देता है और आत्मा से आत्मा में ही संतुष्ट रहता है उस काल में वह स्थितप्रज्ञ कहा जाता है।"
Pujya asharam ji bapu

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