Tuesday 31 January 2012

182_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

".....मनुष्य जैसा सोचता है वैसा हो जाता है। मन कल्पतरू है। अतः सुषुप्त दिव्यता को, दिव्य साधना से जगाओ। अपने में दिव्य विचार भरो।"
Pujya asharam ji bapu 

181_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

माया दुस्तर है लेकिन मायापति की शरण जाने से माया तरना सुगम हो जाता है
Pujya asharam ji bapu

Monday 30 January 2012

180_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

एके ते सब होत है सबसे एक न होई।
जो वस्तुएँ दिख रही हैं, वे चैतन्य के बिना रह नहीं सकतीं, लेकिन वस्तुओं के बिना चैतन्य रह सकता है।

Pujya asharam ji bapu  Satsang

179_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

राग जहाँ भी आपने लगाया वहाँ दुःख दिये बिना नहीं छोड़ेगा।
Pujya asharam ji bapu

Sunday 29 January 2012

178_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

साधू संग संसार में, दुर्लभ मनुष्य शरीर
सत्संग सवित तत्व है, त्रिविध ताप की पीर।।|

मानव-देह मिलना दुर्लभ है और मिल भी जाय तो आधिदैविक, आधिभौतिक और आध्यात्मिक ये तीन ताप मनुष्य को तपाते रहते है किंतु मनुष्य-देह में भी पवित्रता हो, सच्चाई हो, शुद्धता हो और साधु-संग मिल जाय तो ये त्रिविध ताप मिट जाते हैं

177_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

एकमेवाक्षरं यस्तु गुरूः शिष्य प्रबोधयेत
पृथ्वीव्यां नास्ति तदद्रव्यं यद्दत्वाचाऽनृणी भवेत्।।
'गुरू शिष्य को जिस अक्षर से ज्ञान या प्रबोध देते हैं, जगाते हैं, उससे उऋण होने के लिए शिष्य पृथ्वी का कोई भी द्रव्य क्यों न समर्पित कर दे, फिर भी वह ऋण-मुक्त नहीं बन सकता।'

Saturday 28 January 2012

176_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

अलख पुरुष की आरसी, साधू का ही देह।
                     लखा जो चाहे अलख को, इन्हीं में तू लख लेह।।

Friday 27 January 2012

175_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

अरे ! विश्वनियंता तुम्हारे साथ है और तुम काँप रहे हो ? विश्वेश्वर सदा साथ है और तुम चिन्तित हो रहे तो बड़े शर्म की बात है। दुःख और चिन्ता में तो वे डूबें जिनके माई-बाप मर गये हों। तुम्हारे माई-बाप तो हृदय की हर धड़कन में तुम्हारे साथ हैं। फिर क्यों दुःखी होते हो ? क्यों चिन्तिन होते हो ? क्यों भयभीत होते हो ?
Pujya asharam ji bapu

174_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

यदि आप अपने आत्मस्वरूप को परमात्मा समझो और अनुभव करो तो आपके सब विचार मनोरथ सफल होंगे, उसी क्षण पूर्ण होंगे
Pujya asharam ji bapu

173_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

अगर आपको सचमुच ईश्वर की आवश्यकता हो तो सांसारिक सुखभोगों से दूर रहो और गुरूभक्तियोग का आश्रय लो।
श्री स्वामी शिवानन्द सरस्वती

Thursday 26 January 2012

172_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

ईमानदारी से किया हुआ व्यवहार भक्ति बन जाता है और बेईमानी से की हुई भक्ति भी व्यवहार बन जाती है

Pujya asharam ji bapu

171_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

एक दिन तुम यह सब छोड़ जाओगे और पश्चाताप हाथ लगेगा। उससे पहले मोह-ममतारूपी पाश को विवेकरूपी कैंची से काटते रहना। 

Pujya asharam ji bapu 

171_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

साधक का लक्ष्य परमात्मा है और संसारी का लक्ष्य तुच्छ भोग है। संसारी की धारा चिन्ता के तरफ जा रही है और साधक की धारा चिन्तन के तरफ जा रही है।
Pujya asharam ji bapu

Wednesday 25 January 2012

170_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

दर्द का बार-बार चिन्तन मत करो, विक्षेप मत बढ़ाओ। विक्षेप बढ़े ऐसा न सोचो, विक्षेप मिटे ऐसा उपाय करो। विक्षेप मिटाने के लिए भगवान को प्यार करके 'हरि ॐ' तत् सत् और सब गपशप का मानसिक जप या स्मरण करो। ईश्वर को पाने के कई मार्ग हैं लेकिन जिसने ईश्वर को अथवा गुरूतत्त्व को प्रेम व समर्पण किया है, उसे बहुत कम फासला तय करना पड़ा है।

Pujya asharam ji bapu 

169_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

हद टूपे सो औलिया  , बेहद टूपे सो  पीर ।
हद-बेहद मैदान मे, उसका नाम फकीर  ।।

168_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

कठिन से कठिन काम है आत्म-साक्षात्कार करना और सरल से सरल काम भी है आत्म साक्षात्कार करना।
Pujya asharam ji bapu

Tuesday 24 January 2012

167_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

ऐ मन रूपी घोड़े ! तू और छलांग मार। ऐ नील गगन के घोड़े ! तू और उड़ान ले। आत्म-गगन  के विशाल मैदान में विहार कर। खुले विचारों में मस्ती लूट। देह के पिंजरे में कब तक छटपटाता रहेगा ? कब तक विचारों की जाल में तड़पता रहेगा ? ओ आत्मपंछी ! तू और छलांग मार। और खुले आकाश में खोल अपने पंख। निकल अण्डे से बाहर। कब तक कोचले में पड़ा रहेगा ? फोड़ इस अण्डे को। तोड़ इस देहाध्यास को। हटा इस कल्पना को। नहीं हटती तो ॐ की गदा से चकनाचूर कर दे।

Pujya asharam ji bapu

166_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

गुरुदेव का सान्निध्य साधक के लिए एक सलामत नौका है जो अंधकार के उस पार निर्भयता के किनारे पहुँचाती है। जो साधक अपने साधनापथ में ईमानदारी से और सच्चे हृदय से प्रयत्न करता है और ईश्वर साक्षात्कार के लिए तड़पता है उस योग्य शिष्य पर गुरुदेव की कृपा उतरती है।
( ऋषि प्रसाद )

165_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

चित्त की मधुरता से, बुद्धि की स्थिरता से सारे दुःख दूर हो जाते हैं। चित्त की प्रसन्नता से दुःख तो दूर होते ही हैं लेकिन भगवद-भक्ति और भगवान में भी मन लगता है। इसीलिए कपड़ा बिगड़ जाये तो ज्यादा चिन्ता नहीं, दाल बिगड़ जाये तो बहुत फिकर नहीं, रूपया बिगड़ जाये तो ज्यादा फिकर नहीं लेकिन अपना दिल मत बिगड़ने देना। क्योंकि इस दिल में दिलबर परमात्मा स्वयं विराजते हैं।

Pujya asharam ji bapu

164_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

विचारवान पुरूष अपनी विचारशक्ति से विवेक-वैराग्य उत्पन्न करके वास्तव में जिसकी आवश्यकता है उसे पा लेगा। मूर्ख आदमी जिसकी आवश्यकता है उसे समझ नहीं पायेगा और जिसकी आवश्यकता नहीं है उसको आवश्यकता मानकर अपना जीवन खो देगा। उसे चिन्ता होती है कि रूपये नहीं होंगे तो कैसे चलेगा, गाड़ी नहीं होगी तो कैसे चलेगा, अमुक वस्तु नहीं होगी तो कैसे चलेगा। 
Pujya asharam ji bapu

Monday 23 January 2012

163_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

ॐ का जप करने से और सच्चे आत्मवेत्ता संतों की शरण में जाने से कुदरत ऐसा रंग बदल देती है कि भविष्य ऊँचा उठ जाता है।
Pujya asharam ji bapu

162_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

कोई भी चिन्ता किये बिना जो प्रभु में मस्त रहता है वह सहनशील है, वह साधुबुद्धि है।
 Pujya asharam ji bapu

161_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

अपने पूरे प्राणों की शक्ति लगा कर, पूर्ण मनोयोग के साथ कार्य करो। कार्य पूरा कर लेने के बाद कर्त्तापन को झाड़ फेंक दो। अपने अकर्त्ता, अभोक्ता, शुद्ध, बुद्ध सच्चिदानन्द स्वरूप में गोता लगाओ।
Pujya asharam ji bapu

Sunday 22 January 2012

160_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

आप सर्वत्र मंगलमय देखने लग जाइये, चित्त अपने-आप शान्त हो जायेगा।
जिस कृत्य से चित्त खिन्न हो ऐसा कृत्य मत करो। जो विचार भय, चिन्ता या खिन्नता पैदा करें उन विचारों को विष की नाईं त्याग दो।
 Pujya asharam ji bapu

159_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

बहते संसार के
सुख-दुःख,
आकर्षण-विकर्षण में
चट्टान की नाईं
सम,निर्लिप्त रहना ही बहादुरी है।
                                                              Pujya asharam ji bapu

Saturday 21 January 2012

158_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

तुम्हारे जीवन में
जितना संयम और वाणी में
जितनी सच्चाई होगी, उतनी ही
तुम्हारी और तुम जिससे
बात करते हो उसकी
आध्यात्मिक उन्नति होगी।

                    Pujya asharam ji bapu

Friday 20 January 2012

157_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

ब्रहम गिआनी का दरसु बडभागी पाईये।
ब्रहम गिआनी कउ बलि बलि जाईये।
ब्रहम गिआनी की मिति कउनु बखानै।
ब्रहम गिआनी की गति ब्रहम गिआनी जानै।
चारि पदारथ जे को मागै। साध जना की सेवा लागै।
जे को आपुना दूखु मिटावै। हरि हरि नामु रिदै सद गावै।
जे को जनम मरण ते डरै। साध जना की सरनी परै।
(सुखमनी साहिब)

Thursday 19 January 2012

156_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

किसी भी चीज़ को ईश्वर से अधिक मूल्यवान मत समझो |
Pujya asharam ji bapu 

Wednesday 18 January 2012

155_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

महापुरुष का आश्रय प्राप्त करने वाला मनुष्य सचमुच परम सदभागी है। सदगुरु की गोद में पूर्ण श्रद्धा से अपना अहं रूपी मस्तक रखकर निश्चिंत होकर विश्राम पाने वाले सत्शिष्य का लौकिक एवं आध्यात्मिक मार्ग तेजोमय हो जाता है। सदगुरु में परमात्मा का अनन्त सामर्थ्य होता है। उनके परम पावन देह को छूकर आने वाली वायु भी जीव के अनन्त जन्मों के पापों का निवारण करके क्षण मात्र में उसको आह्लादित कर सकती है तो उनके श्री चरणों में श्रद्धा-भक्ति से समर्पित होने वाले सत्शिष्य के कल्याण में क्या कमी रहेगी ?
(ऋषि प्रसाद)

Tuesday 17 January 2012

154_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

प्यारी हमारी गुरु पादुका ,ज्योत जगाने वाली
इन चरणों  की बड़ी  महिमा है  इन चरणों में मिट जाओ

153_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

तुम्हारे स्वरूप के भय से चाँद-सितारे भागते हैं, हवाएँ बहती हैं, मेघ वर्षा करते हैं, बिजलियाँ चमकती हैं, सूरज रात और दिन बनाता है, ऋतुएँ समय पर अपना रंग बदलती हैं। उस आत्मा को छोड़कर औरों से कब तक दोस्ती करोगे? अपने घर को छोड़कर औरों के घर में कब तक रहोगे? अपने पिया को छोड़कर औरों से कब तक मिलते रहोगे....?

Pujya asharam ji bapu

152_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

अपनी पूरी शक्ति लगाओ। पूरा जीवन दाँव पर लगाकर भी भगवद राज्य में पहुँच जाओगे तो फिर तुम्हारे लिए कोई सिद्धि असाध्य नहीं रहेगी, कुछ अप्राप्य नहीं रहेगा, दुर्लभ नहीं रहेगा। उसके सिवाय सिर पटक-पटककर कुछ भी बहुमूल्य पदार्थ या ध्येय पा लिया फिर भी अन्त में रोते ही रहोगे। यहाँ से जाओगे तब पछताते ही जाओगे। हाथ कुछ भी नहीं लगेगा। इसलिए अपनी बुद्धि को ठीक तत्त्व की पहचान में लगाओ।"
Pujya asharam ji bapu

151_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जौ न तरै भवसागर नर समाज अस पाई।
सो कृत निन्दक मन्दमति आतमहन अधोगति जाई।
मानव तन पाकर जो भवसागर नहीं तरता वह क्या कुत्ता होकर तरेगा? बिल्ला होकर तरेगा? गधा होकर तरेगा कि घोड़ा होकर तरेगा? इन योनियों में तो डण्डे ही खाने हैं।
Pujya asharam ji bapu

Monday 16 January 2012

150_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

हम वासी उस देश के जहाँ पार ब्रह्म का खेल।
                                         दीया जले अगम का बिन बाती बिन तेल।।

149_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

हम अपने वास्तविक स्वरूप, अपनी असीम महिमा को नहीं जानते। नहीं तो मजाल है कि जगत के सारे लोग और तैंतीस करोड़ देवता भी मिलकर हमें दुःखी करना चाहें और हम दुःखी हो जायें ! जब हम ही भीतर से सुख अथवा दुःख को स्वीकृति देते हैं तभी सुख अथवा दुःख हम को प्रभावित करते हैं। सदैव प्रसन्न रहना ईश्वर की सबसे बड़ी भक्ति है।
Pujya asharam ji bapu

148_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जागो.... उठो.... अपने भीतर सोये हुए निश्चयबल को जगाओ सर्वदेश, सर्वकाल में सर्वोत्तम आत्मबल को अर्जित करो। आत्मा मे अथाह सामर्थ्य है। अपने को दीन-हीन मान बैठे तो विश्व में ऐसी कोई सत्ता नहीं जो तुम्हें ऊपर उठा सके। अपने आत्मस्वरूप में प्रतिष्ठित हो गये तो त्रिलोकी में ऐसी कोई हस्ती नहीं जो तुम्हें दबा सके।
Pujya asharam ji bapu

147_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

कोई आपका अपमान या निन्दा करे तो परवाह मत करो। ईश्वर को धन्यवाद दो कि तुम्हारा देहाध्यास तोड़ने के लिए उसने उसे ऐसा करने के लिए प्रेरित किया है। अपमान से खिन्न मत बनो बल्कि उस अवसर को साधना बना लो। अपमान या निन्दा करने वाले आपका जितना हित करते हैं, उतना प्रशंसक नहीं करते – यह सदैव याद रखो।
Pujya asharam ji bapu

Sunday 15 January 2012

146_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

मनसश्चेन्द्रियाणां च ह्यैक्राग्यं परमं तपः।
तज्जयः सर्व धर्मेभ्यः स धर्मः पर उच्यते।।
'मन और इन्द्रियों की एकाग्रता ही परम तप है। उनका जय सब धर्मों से महान है।'
(श्रीमद् आद्य शंकराचार्य)
तपः सु सर्वेषु एकाग्रता परं तपः।
तमाम प्रकार के धर्मों का अनुष्ठान करने से भी एकाग्रतारूपी धर्म, एकाग्रतारूपी तप बड़ा होता है।
Pujya asharam ji bapu :-

145_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जैसे भगवान निर्वासनिक हैं, निर्भय हैं, आनन्दस्वरूप हैं, ऐसे तुम भी निर्वासनिक और निर्भय होकर आनन्द में रहो। यही उसकी महा पूजा है।
Pujya asharam ji bapu

144_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

चिन्ता, भय, शोक, व्यग्रता और व्यथा को दूर फेंक दो। उधर कतई ध्यान मत दो।
सारी शक्ति निर्भयता से प्राप्त होती है, इसलिए बिल्कुल निर्भय हो जाओ। फिर तुम्हारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकेगा।
Pujya asharam ji bapu

143_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

अपने मन में यह दृढ़  संकल्प करके साधनापथ पर आगे बढ़ो कि यह मेरा दुर्लभ शरीर न स्त्री-बच्चों के लिए है, न दुकान-मकान के लिए है और न ही ऐसी अन्य तुच्छ चीजों के संग्रह करने के लिए है। यह दुर्लभ शरीर आत्म ज्ञान प्राप्त करने के लिए है। मजाल है कि अन्य लोग इसके समय और सामर्थ्य को चूस लें और मैं अपने परम लक्ष्य आत्म-साक्षात्कार से वंचित रह जाऊँ? बाहर के नाते-रिश्तों को, बाहर के सांसारिक व्यवहार को उतना ही महत्त्व दो जहाँ तक कि वे साधना के मार्ग में विघ्न न बनें। साधना मेरा प्रमुख कर्त्तव्य है, बाकी सब कार्य गौण हैं – इस दृढ़ भावना के साथ अपने पथ पर बढ़ते जाओ।
Pujya asharam ji bapu

Saturday 14 January 2012

142_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

ईश्वरः सर्वभूतानां हृदयेशेऽर्जुन तिष्ठति....
ईश्वर तो सर्वत्र है। उसको पाने की इच्छा रखने वाला दुर्लभ है। ईश्वर-प्राप्ति का मार्ग दिखानेवाले महापुरुषों का मिलना दुर्लभ है। ईश्वर दुर्लभ नहीं है। वह तो सर्वत्र है, सदा है। ईश्वर सुलभ है।
तस्याहं सुलभः पार्थ...।
'मैं तो सुलभ हूँ लेकिन मेरा साक्षात्कार कराने वाले महात्मा दुर्लभ हैं।'
बहूनां जन्मनामन्ते ज्ञानवान्मां प्रपद्यते।
वासुदेवः सर्वमिति स महात्मा सुदुर्लभः।।
"बहुत जन्मों के अन्त के जन्म में तत्त्वज्ञान को प्राप्त पुरुष, सब कुछ वासुदेव ही है – इस प्रकार मुझको भजता है, वह महात्मा अत्यन्त दुर्लभ है।'
(भगवद् गीताः 7.19)
Pujya asharam ji bapu
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