यह
कौन-सा उकदा
जो हो नहीं
सकता?
तेरा
जी न चाहे तो
हो नहीं सकता।
छोटा-सा
कीड़ा पत्थर
में घर करे....
इन्सान
क्या दिले
दिलबर में घर
न करे?
तुममें
ईश्वर की अथाह
शक्ति छुपी
है। परमात्मा
का अनुपम बल
छुपा है। तुम
चाहो तो ऐसी
ऊँचाई पर
पहुँच सकते हो
कि तुम्हारा
दीदार करके
लोग अपना
भाग्य बना लें।
तुम
ब्रह्मवेत्ता
बन सकते हो
ऐसा तत्त्व तुममें
छुपा है।
लेकिन अभागे
विषयों ने,
तुम्हारे
नकारात्मक
विचारों ने,
दुर्बल
ख्यालों ने,
चुगली, निन्दा
और शिकायत की
आदतों ने, रजो
और तमोगुण ने
तुम्हारी
शक्ति को
बिखेर दिया
है।Pujya Asharam Ji Bapu

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