395_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
साधक को चाहिये कि अपने लक्ष्य को दृष्टि में रखकर साधना-पथ पर तीर की तरह सीधा चला जाये । न इधर देखे न उधर । दृष्टि यदि इधर-उधर जाती हो तो समझना कि निष्ठा स्थिर नहीं है ।
Pujya Asharam Ji Bapu
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