दुःख
के सदुपयोग से
जीवन की शक्ति
का विकास होता
है और सुख के
सदुपयोग से
जीवन में
सजगता आती है,
जीवनतत्त्व
की जागृति
होती है। दुःख
से घबड़ाने से
कमजोरी बढ़ती
है और सुख में
फँस जाने से
विलासिता
बढ़ती है। सुख
बाँधकर कमजोर
करता है और
दुःख डराकर
कमजोर करता है।
ऐसा कोई
मनुष्य नहीं
जिसके पास सुख
और दुःख न आते
हों।
Pujya Asharam Ji Bapu
Pujya Asharam Ji Bapu
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