नुष्य वाणी के संयम द्वारा अपनी शक्तियों को विकसित कर सकता है। मौन से आंतरिक शक्तियों का बहुत विकास होता है। अपनी शक्ति को अपने भीतर संचित करने के लिए मौन धारण करने की आवश्यकता है। कहावत है कि न बोलने में नौ गुण।
ये नौ गुण इस प्रकार हैं। 1. किसी की निंदा नहीं होगी। 2. असत्य बोलने से बचेंगे। 3. किसी से वैर नहीं होगा। 4. किसी से क्षमा नहीं माँगनी पड़ेगी। 5. बाद में आपको पछताना नहीं पड़ेगा। 6. समय का दुरूपयोग नहीं होगा। 7. किसी कार्य का बंधन नहीं रहेगा। 8. अपने वास्तविक ज्ञान की रक्षा होगी। अपना अज्ञान मिटेगा। 9. अंतःकरण की शाँति भंग नहीं होगी।
Pujya asharam ji bapu
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