राग के कारण जीव जन्म मरण के चक्कर में पड़ता है, राग के कारण जीव पापाचर करता है, राग के कारण जीव नाना प्रकार की योनियों में भटकता है।
रागरहित हुए बिना भोग योग में नहीं बदलता, स्वार्थ सेवा में नहीं बदलता।
राग मिटाने के लिए जगत की नश्वरता का विचार करके, शरीर की क्षणभंगुरता का विचार करके चित्त में वैराग्य को उपजाना चाहिए।
Pujya asharam ji bapu
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