".....ईश्वरीय विधान को न जानने से ही सारे दुःख दर्द आते हैं। ईश्वरीय विधान हमारी उन्नति चाहता है। किसी भी व्यक्ति, वस्तु, प्राणी, पदार्थ में हम आबद्ध हुए तो ईश्वरीय विधान हमें वहाँ से ऊपर उठाने के लिए विघ्न बाधाएँ और दण्ड देकर भी सावधान कर देता है। जो प्रेम परमात्मा से करना चाहिए वह प्रेम अगर किसी व्यक्ति, वस्तु, पद से किया तो ईश्वरीय विधान हमें वहाँ से बलात् घसीट लेता है। अतः ईश्वरीय विधान को समझकर सहज मुक्ति के मार्ग पर अग्रसर रहो।"
Pujya asharam ji bapu

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