सदगुरु ही जगत में तुम्हारे सच्चे मित्र हैं। मित्र बनाओ तो उन्हें ही बनाओ, भाई-माता-पिता बनाओ तो उन्हें ही बनाओ। गुरुभक्ति तुम्हें जड़ता से चैतन्यता की ओर ले जायेगी। जगत के अन्य नाते-रिश्ते तुम्हें संसार में फँसायेंगे, भटकायेंगे, दुःखों में पटकेंगे, स्वरूप से दूर ले जायेंगे। गुरु तुम्हें जड़ता से, दुःखों से, चिन्ताओं से मुक्त करेंगे। तुम्हें अपने आत्मस्वरूप में ले जायेंगे।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.