जब तक तुम भीतर से भयभीत नहीं होते, तब तक बाहर की कोई भी परिस्थिति या धमकी तुम्हें भयभीत नहीं कर सकती। बाहर की किसी भी परिस्थिति में इतना बल ही कहाँ जो सर्वनियन्ता, सबके शासक, सब के सृष्टा को क्षण मात्र के लिए भी डगमगा सके। किसी भी परिस्थिति से डरना अपनी छाया से डरने के समान है।
Pujya asharam ji bapu
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