जीवन में उतार चढ़ाव आने पर, खट्टे-मीठे प्रसंग आने पर लोग दुःखी हो जाते हैं। अपने को पापी समझकर वे दुःखी हो रहे हैं। यह बड़ी गलती है। जीवन के विकास के लिए दुःख नितान्त जरूरी है। जीवन के उत्थान के लिए दुःख अति आवश्यक है।
सुख में विवेक सोता है और दुःख में विवेक जागता है। लेकिन दुःख में घबड़ाने से आदमी दुर्बल हो जाता है। दुःख का का सदुपयोग करने से आदमी बलवान् हो जाता है।
Pujya asharam ji bapu
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