अप्पदीपो भव। अपना दीया आप बनो। जिन कारणों से तुम्हारा मन दुर्बल होता हो, जिन आहार और पदार्थों से तुम्हारा तन बीमार होता हो, दुर्बल होता हो, उन सबको विष की नाँई त्याग दो। जिन कारणों से मन बलवान होता हो, तन मजबूत होता हो उन कारणों को आप आमंत्रित कर दो। यह है दक्षता।
Pujya asharam ji bapu
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