दीनतावालों को भगवान नहीं मिलते। नाऽयमात्मा बलहीनेन लभ्यः।
इसलिए भगवान की पूजा करनी हो तो भगवान बनकर करो। देवो भूत्वा देवं यजेत्।
जैसे भगवान निर्वासनिक हैं, निर्भय हैं, आनन्दस्वरूप हैं, ऐसे तुम भी निर्वासनिक और निर्भय होकर आनन्द में रहो। यही उसकी महा पूजा है।
Pujya asharam ji bapu
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