बैल किसान की बात मानता है।
घोड़ा घुड़सवार की
बात मानता है।
कुत्ता या गधा भी अपने
मालिक की बात मानता है। परंतु
जो मनुष्य किन्हीं
ब्रह्मवेत्ता को अपने सदगुरु के रूप
में तो मानता है लेकिन
उनकी बात नहीं मानता
वह तो इन प्राणियों से भी
गया-बीता है।
प्रातः स्मरणीय परम पूज्य संत श्री आसारामजी बापू :-
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