438_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
रूचि को पोसना नहीं है, निवृत्त करना है। रूचि निवृत्त हो गई तो काम बन गया, फिर ईश्वर दूर नहीं रहेगा।
जो लोग रूचि के अनुसार सेवा करना चाहते हैं, उनके जीवन मे बरकत नहीं आती। किन्तु जो आवश्यकता के अनुसार सेवा करते हैं, उनकी सेवा रूचि मिटाकर योग बन जाती है।
Pujya Asharam Ji Bapu
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