महापुरुष का आश्रय प्राप्त करने वाला मनुष्य सचमुच परम सदभागी है। सदगुरु की गोद में पूर्ण श्रद्धा से अपना अहं रूपी मस्तक रखकर निश्चिंत होकर विश्राम पाने वाले सत्शिष्य का लौकिक एवं आध्यात्मिक मार्ग तेजोमय हो जाता है। सदगुरु में परमात्मा का अनन्त सामर्थ्य होता है। उनके परम पावन देह को छूकर आने वाली वायु भी जीव के अनन्त जन्मों के पापों का निवारण करके क्षण मात्र में उसको आह्लादित कर सकती है तो उनके श्री चरणों में श्रद्धा-भक्ति से समर्पित होने वाले सत्शिष्य के कल्याण में क्या कमी रहेगी ?
(ऋषि प्रसाद)
(ऋषि प्रसाद)
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.