Saturday, 7 January 2012

111_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

संतों का कहना है, महापुरूषों का यह अनुभव है कि निर्विकारी समाधि में आनंद का प्राकट्य हो सकता है परंतु आनंदस्वरूप प्रभु का पोषण तो प्रेमाभक्ति के सिवाय कहीं नहीं हो सकता। योगी कहता है कि समाधि में था, बड़ा आनंद था, बड़ा सुख था, भगवन्मस्ती थी, मगर समाधि चली गयी तो अब आनंद का पोषण कैसे हो ? आनंद का पोषण बिना रस के नहीं होता।
Pujya asharam ji bapu 

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...