105_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
मेरे चिन्तयो होत नहीं हरि को चिन्तयो होय।
हरि को चिन्तयो हरि करे मैं रहूँ निश्चिन्त।।
हम अपने आपको ईश्वर को सौंप देते हैं तो हमारी कब किस ढंग से उन्नति करना यह बहुत ठीक ढंग से वह जानता है। उसके आगे हमारी मति क्या है ? Pujya asharam ji bapu
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