124_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
हम अपने आत्म-प्रसाद का स्मरण करते-करते आत्ममय होते जाएँगे।
हरि ॐ.....ॐ......ॐ......
जन्म मृत्यु मेरे धर्म नहीं हैं।
पाप पुण्य कुछ कर्म नहीं हैं।
मैं अज निर्लेपी रूप।।
कोई कोई जाने रे.....
Pujya asharam ji bapu
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