Tuesday, 10 January 2012

124_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

हम अपने आत्म-प्रसाद का स्मरण करते-करते आत्ममय होते जाएँगे।
हरि ॐ.....ॐ......ॐ......
जन्म मृत्यु मेरे धर्म नहीं हैं।

पाप पुण्य कुछ कर्म नहीं हैं।

मैं अज निर्लेपी रूप।।

कोई कोई जाने रे.....


Pujya asharam ji bapu

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