वेदान्त की बात आपके अनुभव में आने से सारे दुःख ओस की बूँद की तरह लुप्त हो जायेंगे। मैं नितान्त सत्य कह रहा हूँ। यह बात समझने से ही परम कल्याण होगा।
अपनी समझ जब तक इन्सान को आती नहीं।
दिल की परेशानी तब तक जाती नहीं।।
......तो कृपानाथ ! अपने ऊपर कृपा करो। सुख का भी सदुपयोग और दुःख का भी सदुपयोग। सुख-दुःख आपके दास हो जायें। आप उनके स्वामी हो जाओ। फिर, आप कौन हो यह जानने की जिज्ञासा जागृत होगी। जीवन की जिज्ञासा में जीवन के कल्याण के बीज निहित हैं। कल्याण भी ऐसा किः
रिद्धिसिद्धि जाँ के आगे हाथ जोड़ खड़ी है।
सुन्दर कहत ताँ के सब ही गुलाम हैं।।Pujya asharam ji bapu
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