जो फालतू बातें नहीं करता, फालतू समय नहीं गँवाता, चारित्र्यहीन व्यक्तियों का संग नहीं करता, ऐसे सौभाग्यशाली व्यक्ति को यदि तत्त्वज्ञानी गुरु मिल जाय तो मानो उसका आखिरी जन्म है। मूर्खों की कल्पनाओं को, जगत की वस्तुओं को जितना सत्य मानते हैं, उतना ही महापुरुषों के वचनों को सत्य मान लें तो ऐसा कौन है जो मुक्त न हो जाय? ऐसी कौन-सी मुक्ति है जो उसकी मुट्ठी में न आ जाय?
Pujya asharam ji bapu :-
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