हाथ जोड़ वंदन करूँ
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हाथ जोड़ वंदन करूँ, धरूँ चरण पे शीश।
ज्ञान भक्ति मोहे दीजिए, परम पुरुष जगदीश।।1।।
सब कुछ दीना आपने, भेंट धरूँ क्या नाथ।
नमस्कार की भेंट धरुँ, जोड़ूँ मैं दोनों हाथ।।2।।
दुःख रूप संसार ये, जन्म मरण की खान।
आप निकालो दया करो, सदगुरु दीन दयाल।।3।।
प्रेम भक्ति से देना हमें, हे प्रेम अवतार ! हे करुणा अवतार!
तुम हो गगन के चंद्रमा, हम रहें अनुकूल।।4।।
हरि हरि ॐ
ॐ गुरु ॐ गुरु
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