Sunday, 25 December 2011

75_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

इन वेदवचनों को केवल मान लो नहीं, उनकी सत्यता का अनुभव करते चलो। 'मैं वह आनंदस्वरूप आत्मा हूँ...' चार वेद के चार महावाक्य हैं-
प्रज्ञानं ब्रह्म। अयं आत्मा ब्रह्म। अहं ब्रह्मास्मि। तत्त्वमसि। इन वेदवाक्यों का तात्पर्य यही है।
नानकदेव भी कहते हैं-
सो प्रभ दूर नहीं... प्रभ तू है।
सो साहेब सद सदा हजूरे।
अन्धा जानत ता को दूरे।।
तुलसीदास जी कहते हैं-
घट में है सूझे नहीं, लानत ऐसे जिन्द।
तुलसी ऐसे जीव को, भयो मोतियाबिन्द।।
Pujya asharam ji bapu satsang :_

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